दिल अब टूट चुका है मन बोझिल है , सपने फाख्ता है
हां मै निराश हूँ अपने आप से
मै नही बदल सका अपने आप को , अपनी मासूमियत , अपने भोलेपन को
हां सच मे मै नही बदल सका बदलाव के इस दौर मे
आज भी झूट बोलते होठ काप जाते है ,जलील नही कर पाता मै किसी को
कदर है मुझे लोगो के झूटी भावनावो की जानते हुए की झूठे है
हा सच बाकी है मेरे अन्दर अभी भी .
आंखे सूज गयी है उनमे नीद है , ढेर सारी नीद ...
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