जमी पर आतिश की कुछ चिनगारीयां
शाएद ये कोंई खास पल है ..
लोग खुश है , लोग उत्साहित है
उत्सवधर्मिता फजाओं मे घुली सी है
उत्साह एक आने वाले कल का ,
कल के नए सपनो का, नयी इच्छाओं का , वादों का ,खुशिओं का
उस अनदेखे कल का जो हम उम्मीद करते है सुखद हो ..
कल कोंई २६/११ न हो , कल कोंई रेस्सेसन न आये,
कल कोंई अपना न छूटे , कल कोंई दिल न टूटे ,
कल सूरज एक नयी रोशनी लाये ,
कल फजाएं एक नया गीत गुनगुनाएं .
कल हम अपने सपनो के ओर भागें
और मुट्ठी मे भर लायें
कल वो कल आये जब हम खुशिओं को घर लायें ....
3 comments:
hello praveen ji..its too late to put comment on such a beautiful poem.the poem is really really optimistic and i wish d same for everyone...lots of wishes for future..
keep writing..
reader
Pratima.
hi
vry nice bro dil touching our soul....really vry gud
thank u all dear..
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