Thursday, December 31, 2009

midnight poem on new year eve.

फलक पर कुछ सितारों का झुरमुट
जमी पर आतिश की कुछ चिनगारीयां
शाएद ये कोंई खास पल है ..
लोग खुश है , लोग उत्साहित है
उत्सवधर्मिता फजाओं मे घुली सी है
उत्साह एक आने वाले कल का ,
कल के नए सपनो का, नयी इच्छाओं का , वादों का ,खुशिओं का
उस अनदेखे कल का जो हम उम्मीद करते है सुखद हो ..
कल कोंई २६/११ न हो , कल कोंई रेस्सेसन न आये,
कल कोंई अपना न छूटे , कल कोंई दिल न टूटे ,
कल सूरज एक नयी रोशनी लाये ,
कल फजाएं एक नया गीत गुनगुनाएं .
कल हम अपने सपनो के ओर भागें
और मुट्ठी मे भर लायें
कल वो कल आये जब हम खुशिओं को घर लायें ....

3 comments:

Unknown said...

hello praveen ji..its too late to put comment on such a beautiful poem.the poem is really really optimistic and i wish d same for everyone...lots of wishes for future..

keep writing..

reader

Pratima.

Abhishek SIngh said...

hi
vry nice bro dil touching our soul....really vry gud

प्रवीण द्विवेदी की दुकान said...

thank u all dear..