Saturday, January 15, 2011

तेरे ख़ाबो से इश्क के कुछ पल चुरा लूं

तेरे ख़्वाबों  से इश्क के कुछ पल चुरा लूं ,
आ तुझे अपने ख़्वाबों  मे बसा लूं ,
आखें बंद कर लूं कुछ इस कदर मै,
की अपने जहेन मे तेरा हर नूर बसा लूं ,
कहते है प्यार अँधा है जहाँ मे ,
आंखे खो दू मे अपनी खुद को अँधा बना लूं ,
ना हसूं ना बोलूँ ना किसी से कोंई बात करूँ,
तेरे इश्क मे खुद को इतना संजीदा बना लूं ,
मै मंदिर का रास्ता भूल जाऊं ,मै मस्जिद से मुह फेर लूं ,
सजदे करूँ मै तेरे ,तेरे घर को इबादतगाह बना लूं ,
तेरे छत की मुडेरों पर बैठा रहूँ किसी पालतू परिंदे की तरह ,
तेरे मकाँ की दरारों मे एक छोटा सा आसेयाँ बना लूं ,
बेपरवाह यू ही देखता रहूँ तुझको सुबोह-शाम ,
मै खुद को तेरे कमरे का आएना बना लूं ,
मै मिलूँ हर नजर ,हर डगर ,हर मंजिल पर तुझको ,
सिर्फ इतना चाहूं की तुझको अपना बना लूं .......