Saturday, July 4, 2009

मेरी त्रिवेणी

'हम खामोस रहे चुपचाप सहे ,हर दर्द सही हर मर्ज सही


सोचता हूँ अब डॉक्टर से मिल लूं "



"कुछ दूर तक चलना था साथ , पर किसी के कदम रूक गए


सुना है पाऊँ भारी होने का डर था !"



1 comment:

अभिषेक said...

कम शब्दों में बड़ी टाईट बात कह गए दूबे जी...साधुवाद!!!